
Sanjay Bhandari
Choksi case: दिल्ली की एक अदालत में हाई प्रोफाइल हथियार डीलर संजय भंडारी ने काले धन मामले से जुड़ी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक याचिका का विरोध किया है।
ईडी ने तर्क प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से समय मांगा
19 अप्रैल को भंडारी के वकील ने दिल्ली में विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल के समक्ष यह दलील दी कि मुवक्किल संजय भंडारी की यूके में उपस्थिति अवैध नहीं मानी जा सकती, क्योंकि उनके पास वहां रहने का कानूनी अधिकार है और भारत सरकार यूके कोर्ट के निर्णय से बंधी हुई है… ऐसे में उन्हें भगोड़ा घोषित करना कानूनी रूप से गलत है। भंडारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत में कहा कि ईडी की याचिका “अस्पष्ट, अनुचित और अधिकार क्षेत्र से बाहर” है क्योंकि यह भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (Fugitive Economic Offenders Act) की आवश्यकताओं का पालन नहीं करती। अदालत ने कहा: ईडी द्वारा भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम की धारा 4 के तहत दायर याचिका पर भंडारी की ओर से वकील द्वारा लंबे समय तक तर्क प्रस्तुत किए गए और समाप्त हुए। इस स्थिति में, ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने प्रतिवाद में तर्क प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा… विरोध नहीं किया गया। न्याय के हित में समय प्रदान किया गया। अतः ईडी की याचिका पर प्रतिवाद में तर्कों के लिए अगली सुनवाई 3 मई को निर्धारित की जाती है।
संजय भंडारी के वकील ने रखे तर्क
वकील मनिंदर सिंह ने आगे कहा कि इस अधिनियम के अनुसार किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित करने के लिए आरोपी के खिलाफ दर्ज अपराध की मूल्य राशि ₹100 करोड़ या उससे अधिक होनी चाहिए। लेकिन जब ईडी ने भंडारी को भगोड़ा घोषित करने की याचिका दायर की थी, तब आयकर विभाग द्वारा ऐसा कोई मूल्यांकन उपलब्ध नहीं था। अदालत को यह भ्रमित किया गया कि अपराध की राशि ₹100 करोड़ से अधिक है। उन्होंने कहा, आयकर विभाग ने स्वयं मार्च 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट में भंडारी द्वारा दाखिल की गई एक याचिका में स्वीकार किया था कि उस मामले में अपराध की राशि ₹100 करोड़ से कम है। वकील ने तर्क दिया कि जिस गैर-जमानती वारंट के आधार पर उन्हें यूके में गिरफ्तार किया गया था, उससे उन्हें अब यूके हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार मुक्त कर दिया गया है, और उनके खिलाफ अब कोई नया वारंट लंबित नहीं है।
भारत के प्रत्यार्पण की मांग लंदन हाईकोर्ट ने ठुकराया
ईडी ने एक केस में संजय भंडारी को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। भंडारी ने दावा किया कि उनका यूके (ब्रिटेन) में रहना वैध है, क्योंकि उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने की भारत सरकार की मांग को लंदन हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। लंदन हाई कोर्ट के भंडारी के मामले में दिए गए आदेश का हवाला इंग्लैंड की एक अदालत ने 11 अप्रैल को दिया था, जब उसने एक कथित बहु-करोड़ चावल खरीद घोटाले में एक अन्य आरोपी को भारत प्रत्यर्पित करने की भारत सरकार की याचिका ठुकरा दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में बेल्जियम में गिरफ्तार किए गए भगोड़े भारतीय हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ने भी खुद को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ इसी आदेश का हवाला दिया है। चोकसी पर ₹13,000 करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच
भंडारी का नाम ईडी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में भी सामने आया है। लंदन स्थित हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस ने फरवरी में भंडारी की प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली थी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में उन्हें वाकई में जबरन वसूली और अन्य कैदियों या जेल कर्मचारियों द्वारा हिंसा या धमकी का गंभीर खतरा होगा। यूके हाई कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति मांगने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। यूके हाई कोर्ट ने भंडारी की अपील को मानवाधिकारों के आधार पर स्वीकार किया था और यूके की तत्कालीन गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन द्वारा दिए गए प्रत्यर्पण आदेश से उन्हें “मुक्त” कर दिया था। यह आदेश नवंबर 2022 में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले पर आधारित था।