
Tis Hazari Cout, New Delhi
Chatmola News: दिल्ली की तीस हजारी जिला अदालत ने लोकप्रिय मिठाई ब्रांड चटमोला से जुड़े 33 साल पुराने विवाद पर अपना फैसला सुनाया है।
दो भाइयों के बीच शुरू हुई थी कानूनी लड़ाई
भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले ट्रेडमार्क विवादों में से एक की यह कानूनी लड़ाई 1992 में शुरू हुई थी। इसकी जड़ें दो भाइयों के बीच के पारिवारिक विवाद में थीं, जिसमें चटमोला ट्रेडमार्क के अधिकारों को लेकर टकराव था। चटमोला एक प्रसिद्ध भारतीय टॉफी/मिठाई है, जो अपने तीखे, चटपटे और मसालेदार स्वाद के लिए जानी जाती है।
रमेश चंदर के पक्ष में अदालत का आया फैसला
अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे) नेहा पालीवाल शर्मा ने सभी दस्तावेजों की जांच के बाद फैसला सुनाया। अदालत ने रमेश चंदर के पक्ष में निर्णय दिया और अनिल कुमार गेरा पर स्थायी निषेधाज्ञा (Permanent Injunction) जारी करते हुए उन्हें चटमोला नाम से किसी भी मिठाई उत्पाद के उत्पादन या बिक्री से रोक दिया। इसके साथ ही अनिल कुमार गेरा द्वारा दायर मुकदमा, जिसमें उन्होंने चटमोला ब्रांड पर एकमात्र स्वामित्व की मांग की थी, उसे पूरी तरह से खारिज कर दिया गया।
प्रीतम दास की मृत्यु के बाद बेटे ने केस को आगे बढ़ाया
दरअसल, मूल वादी प्रीतम दास की मृत्यु के बाद उनके बेटे अनिल कुमार गेरा ने यह केस आगे बढ़ाया। दूसरी ओर, रमेश चंदर, जो केस की शुरुआत के समय 37 वर्ष के थे, ने अपने बेटे रजत गेरा के साथ मिलकर चटमोला नाम से उत्पाद बनाना और बेचना जारी रखा।
रमेश चंदर की ओर से अदालत में दिया गया तर्क
रमेश चंदर की ओर से अधिवक्ताओं शैलेन भाटिया और अमित जैन ने दलील दी कि उन्हें ट्रेडमार्क का पंजीकरण प्राप्त है, जो उन्हें भारतीय कानून के तहत विशेष अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है। उनके वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि विपक्षी पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि उनके पास चटमोला नाम के साथ स्वतंत्र प्रतिष्ठा या विपणन खर्चों के प्रमाण मौजूद हैं।
चटमोला एक पंजीकृत ट्रेडमार्क हुआ…
अदालत ने कहा कि वादी और उसके सहयोगी अब चटमोला या उससे मिलते-जुलते किसी भी नाम का प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि यह पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन है। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बेबी एलिफैंट (हाथी का बच्चा) डिवाइस और इसकी विशिष्ट विशेषताओं का भी प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि प्रतिवादी के पास इस लेबल और चिह्न के लिए वैध ट्रेडमार्क पंजीकरण है।
वर्ष 1991 से रिंका ब्रांड के तहत चटमोला का उत्पादन शुरू किया था
यह निर्णय रमेश चंदर के चटमोला ट्रेडमार्क के वैध और पंजीकृत मालिक होने के दावे को मजबूत करता है। उन्होंने वर्ष 1991 से रिंका ब्रांड के तहत चटमोला का उत्पादन शुरू किया था, और अब यह विरासत उनके बेटे रजत गेरा के साथ मिलकर आगे बढ़ रही है।