
Courtroom scene inside the Delhi High Court. AI IMAGE
Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक व्यवसायी को रेल मंत्रालय से संबंधित अनुबंध के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कराने का झूठा आश्वासन देकर 2 करोड़ रुपये की ठगी के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।
एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम का दुरुपयोग
अदालत ने कहा कि इस अपराध की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम का दुरुपयोग करके शिकायतकर्ता को ठगा गया। हाई कोर्ट ने आरोपी अनिश बंसल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले की समग्र परिस्थितियों को देखते हुए, उसे अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूरी साजिश में प्रत्येक आरोपी की भूमिका स्पष्ट करना आवश्यक है। कोर्ट ने आगे कहा, यह इस अपराध की गंभीरता को और बढ़ाता है कि संवैधानिक पदाधिकारी और उनके परिवार के नाम का उपयोग करके शिकायतकर्ता को ठगा गया। इसकी गहन जांच की आवश्यकता है। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2022 में धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के आरोपों में एफआईआर दर्ज की थी।
गृह मंत्री से मिलवाने का किया था झूठा वायदा
पुलिस को मिली शिकायत के अनुसार, शिकायतकर्ता व्यवसायी की मुलाकात अनिश बंसल के माध्यम से बृजेश रतन और एक अन्य व्यक्ति से हुई थी। रतन ने खुद को गृह मंत्री के पुत्र का व्यापारिक साझेदार बताया था और कहा था कि उसका भाजपा नेता से व्यावसायिक संबंध है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि रतन ने 2 करोड़ रुपये यह कहकर लिए कि वह उसे गृह मंत्री से मिलवाकर उसका कार्य करवा देगा। यह भी कहा गया कि रतन ने दावा किया कि उसका पिता रेलवे बोर्ड का चेयरमैन है और शाह के करीबी हैं। शिकायत के अनुसार, इस पूरी बातचीत के दौरान अनिश बंसल भी मौजूद था। बाद में जब शिकायतकर्ता ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद गृह मंत्री से मुलाकात नहीं करवाई गई, और पैसे लौटाने की मांग की, तो उसे कहा गया कि शाह से मुलाकात हो चुकी है और वह राशि भाजपा नेता को टोकन अमाउंट के तौर पर दे दी गई है और कार्य करवाने के लिए और पैसे देने होंगे। जब और पैसे की मांग की गई, तो शिकायतकर्ता को संदेह हुआ और उसे पता चला कि उसके साथ रतन द्वारा ठगी की जा रही है, जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराई गई।
आरोपी ने कहा, कोई सक्रिय रोल नहीं
अनिश बंसल ने अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया कि उसका इस पूरे प्रकरण में कोई सक्रिय रोल नहीं था और अधिकतम यही आरोप है कि उसने शिकायतकर्ता और सह-आरोपी के बीच मुलाकात कराई थी। हालांकि, सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मामला गंभीर है, क्योंकि आरोपी एक आपराधिक साजिश का हिस्सा है, जिसमें देश के गृह मंत्री का नाम बेवजह घसीटा गया और झूठे वादे किए गए। हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक की गई जांच से यह स्पष्ट है कि अनिश बंसल इस अपराध में शामिल था और उसने उस मुलाकात में भाग लिया था। जिसमें सह-आरोपी ने शिकायतकर्ता को 2 करोड़ रुपये देने के लिए झूठे आश्वासन और गुमराह करने वाले दावों के आधार पर प्रेरित किया था।
न्यायमूर्ति स्वर्णा कांत शर्मा ने अपने आदेश में कहा
यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि आरोपी व्यक्तियों ने शिकायतकर्ता से बड़ी धनराशि हड़पने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री का नाम इस्तेमाल किया, यह जानते हुए कि जो आश्वासन दिया जा रहा था वह झूठा था। जब शिकायतकर्ता को यह एहसास हुआ कि आरोपी/आवेदक और केंद्रीय गृह मंत्री अथवा उनके परिवार का आरोपी बृजेश रतन या उसके पिता से कोई संबंध नहीं है, तभी उसने पैसे की वापसी की मांग शुरू की और उसे यह समझ में आया कि उसके साथ संवैधानिक पद का नाम लेकर धोखा किया गया है।