
WB News: कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा संसदीय या विधानसभा चुनावों के उम्मीदवार के नामांकन की जांच के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया में पर्याप्त जांच और संतुलन की व्यवस्था है।
याचिका में सत्यापन के लिए नई प्रक्रिया लागू करने की मांग की
मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवार के नामांकन की जांच प्रक्रिया में पर्याप्त जांच और संतुलन है। न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की जब एक जनहित याचिका (PIL) में याचिकाकर्ता ने इस तरह के सत्यापन के लिए नई प्रक्रिया लागू करने की मांग की थी। न्यायालय ने यह भी माना कि अगर किसी शिकायत को उचित प्रारूप में प्राप्त किया जाता है, तो निश्चित रूप से उसकी जांच की जाएगी।
अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालय की शक्तियों को परिभाषित करता है
न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की भी शामिल खंडपीठ ने कहा कि यह एक विधायी कार्यवाही के बराबर है, जिसे अनुच्छेद 226 के तहत अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं कर सकती। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालय की शक्तियों को परिभाषित करता है। न्यायालय ने 10 अप्रैल के आदेश में कहा, “चुनाव आयोग की भूमिका और याचिकाकर्ता की मांग को ध्यान में रखते हुए, हम मानते हैं कि ऐसी नई प्रक्रिया को लागू करने के लिए रिट कोर्ट द्वारा अधिकारियों को विनियमन बनाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।”
किसी उम्मीदवार के नामांकन की वैधता को लेकर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं लोग
याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा उठाया था कि कुछ विदेशी नागरिक अवैध रूप से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं, और यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकता की पूर्ण जांच सुनिश्चित करे। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी नागरिक को यह अधिकार है कि वह संसदीय या विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के किसी उम्मीदवार के नामांकन की वैधता को लेकर आपत्ति दर्ज करा सके।
न्यायालय ने जनहित याचिका खारिज की
PIL को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग का अधिकार तभी लागू होता है जब कोई चुनाव अधिसूचित होता है और उम्मीदवार नामांकन दाखिल करता है। उसके बाद, आयोग द्वारा उम्मीदवार द्वारा प्रस्तुत विवरणों की जांच की जाती है।