
Delhi High Court
Delhi HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, वकीलों को वैवाहिक विवादों में अपने मुवक्किलों को आरोप लगाने और उन्हें बढ़ावा देने के बजाय विवाद के समाधान के लिए परामर्श देना चाहिए।
पक्षकारों का आचरण निर्धारित सीमा पार नहीं करे…
न्यायमूर्ति प्रतिभा एमसिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने यह टिप्पणी की कि वैवाहिक विवादों में पक्षकारों को भावनात्मक आघात का सामना करना पड़ता है, उनकी निजी जिंदगी थम सी जाती है, और अदालत इस हताशा और निराशा को समझती है। पीठ ने कहा, शांति और सौहार्द अत्यंत आवश्यक हैं, और ऐसे मामलों में पक्षकारों का आचरण कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं को पार नहीं कर सकता।
पत्नी ने पति पर कार्रवाही शुरू को लेकर दी याचिका
पत्नी की ओर से पति के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने और उसे छह महीने की सजा देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि कार्यवाही के दौरान कई घटनाएं हुईं, लेकिन पति को पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने माना कि कुछ परिस्थितियां थीं, जिनके कारण पति ने ऐसा व्यवहार किया। यदि पत्नी के वकील के खिलाफ कोई आरोप थे, तो पति को उचित कानूनी मार्ग अपनाना चाहिए था। अदालत में गालियां देना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
7 अप्रैल को पारित आदेश में अदालत की टिप्पणी
अदालत ने 7 अप्रैल को पारित आदेश में कहा, वकीलों की इन मामलों में न केवल अपने मुवक्किलों के प्रति, बल्कि अदालत और समाज के प्रति भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। उन्हें अपने मुवक्किलों को विवाद निपटारे की दिशा में सलाह देनी चाहिए, न कि एक-दूसरे पर आरोप लगाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए। अदालत ने आगे कहा, ऐसे मामलों में लगाए गए आरोप व्यक्तिगत रूप से लिए जा सकते हैं, जिससे मुवक्किल विरोधी पक्ष के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार कर सकते हैं, हालांकि किसी भी रूप में ऐसा आचरण उचित नहीं ठहराया जा सकता। अंततः, पक्षकारों का आचरण कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही रहना चाहिए।
जुलाई 2024 में पारिवारिक अदालत में पति ने पत्नी के वकील को दी थी गालियां
जुलाई 2024 में पति ने पारिवारिक अदालत में पत्नी के वकील को गालियां दी थीं, जिससे हंगामा हो गया था। रिकॉर्ड पर यह भी आया कि पति ने न सिर्फ वकील से अभद्र व्यवहार किया, बल्कि न्यायाधीश पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। अदालत ने कहा कि यह वैवाहिक विवाद अब पक्षकारों के वकीलों के बीच एक गंभीर झगड़े का रूप ले चुका है।
पति पर ₹1 लाख की लागत का लगाया जुर्माना
मामले की पृष्ठभूमि, पति द्वारा प्रकट की गई पछतावे की भावना और उसके बीमार पिता की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने पति को फटकार लगाई और उसे पत्नी के वकील से मौखिक माफी मांगने का निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया था कि फटकार और माफी के अतिरिक्त, पति याचिकाकर्ता को ₹1 लाख की लागत भी अदा करेगा। साथ ही, अदालत ने पति को आदेश दिया कि वह अपने नाबालिग बच्चों की भरण-पोषण राशि और स्कूल फीस का भुगतान करना जारी रखे।