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WB HC: कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह यह स्पष्ट करे कि MGNREGA योजना को पश्चिम बंगाल में, चार जिलों को छोड़कर, भविष्य में फिर से लागू क्यों न किया जाए।
शिकायत के चलते योजना को स्थगित नहीं कर सकते
हाईकोर्ट का यह निर्देश उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिनमें यह मांग की गई थी कि योजना के अंतर्गत जिन लोगों ने कार्य पूरा कर लिया है, उन्हें उनका भुगतान किया जाए। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) के अंतर्गत शिकायतों के चलते योजना को अनिश्चितकाल तक स्थगित नहीं किया जा सकता।
धन के दुरुपयेाग के आरोप वाले जिले में नहीं करें लागू
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम व न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, योजना को पूरे राज्य में फिर से लागू किया जा सकता है। इसमें पूर्व बर्धमान, हुगली, मालदा और दार्जिलिंग (GTA क्षेत्र) को छोड़कर, जहां धन के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार उचित निर्देश जारी कर सकती है ताकि योजना पर निगरानी रखी जा सके और उसके कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
केंद्र अंतिम लाभार्थी को सीधे भुगतान करें
खंडपीठ ने सुझाव दिया कि इस पर और विचार किया जाए कि किस प्रकार केंद्र सरकार अंतिम लाभार्थियों को सीधे भुगतान कर सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को योजना में अपने हिस्से की राशि भी केंद्र की निधि में योगदान स्वरूप देनी होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इन मुद्दों पर तीन सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है, और अगली सुनवाई की तारीख 15 मई तय की है।
9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को MGNREGA के तहत कोई धनराशि जारी नहीं की
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने दलील दी कि धन के दुरुपयोग के आरोप केवल चार जिलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अन्य जिलों से भी इसी प्रकार की शिकायतें मिली हैं। कोर्ट ने इस पर कहा कि यदि केंद्र की टीमों ने अन्य जिलों में भी अनियमितताएं पाई हैं, तो उन रिपोर्टों को भी न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। एएसजी द्वारा दायर एक लिखित नोट में बताया गया कि केंद्र ने 9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को MGNREGA के तहत कोई धनराशि जारी नहीं की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पहले जारी की गई राशि के उपयोग में गड़बड़ियां पाई गईं।
दो वर्षों से रोजगार नहीं मिलने पर दें रोजगार भत्ता
कोर्ट ने साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा कि क्यों न उसे यह निर्देश दिया जाए कि योजना के तहत पिछले दो वर्षों से रोजगार नहीं मिलने के कारण वह बेरोजगारी भत्ता दे। केंद्र की ओर से दाखिल अनुपालन हलफनामे में बताया गया कि चार सदस्यीय टीम ने उन चार जिलों में जांच की है जहां धन के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि जिन लोगों ने योजना के तहत काम किया है, उन्हें उनका मेहनताना मिलना ही चाहिए। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल को पिछले तीन वर्षों से केंद्र सरकार की ओर से 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना के तहत कोई धनराशि नहीं मिली है।