
Court News: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट को सीबीआई ने बताया कि वर्ष 2016 से लापता हुए जेएनयू छात्र नजीब अहमद का सफदरजंग अस्पताल में इलाज नहीं हुआ था।
नजीब को एमएलसी बनवाने की सलाह दी थी
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अदालत को बताया कि नजीब अहमद को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (MLC) बनवाने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह अपने दोस्त मोहम्मद कासिम के साथ अस्पताल से चले गए थे। उनकी अस्पताल यात्रा से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिला। यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) ज्योति महेश्वरी की अदालत में जांच अधिकारी (IO) द्वारा दी गई, जिन्होंने अदालत द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए। जांच अधिकारी ने आगे बताया कि नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस, जेएनयू के हॉस्टल वार्डन और जामिया में एक मित्र के बयान दर्ज किए गए हैं। यह भी बताया गया कि ऑटो चालक का बयान दिल्ली पुलिस और अदालत दोनों के सामने दर्ज किया गया था।
नजीब की मां फातिमा नफीस ने क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी
जांच अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सफदरजंग अस्पताल में किसी डॉक्टर या चिकित्सा कर्मी का बयान दर्ज नहीं किया गया, क्योंकि नजीब अहमद की अस्पताल यात्रा से संबंधित कोई दस्तावेज़ मौजूद नहीं था। इसके अतिरिक्त, हॉस्टल वार्डन ने पुष्टि की कि उन्होंने नजीब को ऑटो से जेएनयू छोड़ते हुए देखा था। नजीब अहमद अक्टूबर 2016 में जेएनयू से लापता हो गए थे। यह मामला बाद में CBI को सौंपा गया। एजेंसी ने 2018 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। नजीब की मां फातिमा नफीस ने उस क्लोजर रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई के लिए सूचीबद्ध की है।