
Forest of Kancha Gachibowli, Telengana
Telengana News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तेलंगाना सरकार को यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के पास कांचा गचीबावली के जंगलों में पेड़ों की कटाई पर फौरन रोक लगाना चाहिए।
आखिर इतनी जल्दबाजी क्या थी कि हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्या थी कि हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं। शीर्ष कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को इससे जुड़े सवालों के जवाब देने का आदेश दिया गया था। इसमें वन क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों के लिए हरित क्षेत्र की कटाई की मजबूरी से जुड़ा सवाल भी है। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक इस क्षेत्र में कोई भी गतिविधि नहीं होगी, सिर्फ पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा की जा सकती है।
मुख्य सचिव पर कार्रवाई करने तक की दी चेतावनी
पीठ ने पूछा कि क्या पेड़ काटने के लिए वन प्राधिकरण या किसी अन्य स्थानीय कानून से आवश्यक अनुमति प्राप्त की गई थी। शीर्ष अदालत ने आगाह किया कि अगर उसे राज्य की ओर से खामियां नजर आती हैं, तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पीठ ने कहा, वह झील के पास उसी स्थान पर निर्मित अस्थायी जेल में जाएंगे। अगर आपके मुख्य सचिव राज्य की मेहमाननवाजी का आनंद लेना चाहते हैं तो कोई कुछ नहीं कर सकता। शीर्ष कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह बताने के लिए कहा कि क्या राज्य ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की सशक्त समिति को निर्देश दिया है कि वह इस क्षेत्र का दौरा करे और 16 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सौंपे।
यूनिवर्सिटी के छात्र इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं
यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के पास 400 एकड़ जमीन पर विकास कार्य के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही थी। यूनिवर्सिटी के छात्र इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है और कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया है। छात्र पुलिस बल को परिसर से हटाने और भारी मशीनरी को हटाने की मांग कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया है।
हाईकोर्ट में भी मामला लंबित, 7 अप्रैल को अगली सुनवाई
तेलंगाना हाईकोर्ट में भी यह मामला विचाराधीन है। हाईकोर्ट ने 2 मार्च को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह एक दिन के लिए इस जमीन पर सभी कार्य रोक दे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहा है।