
Supreme Court
SC News: गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा (GSHSE) अधिनियम में 2021 में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जताई है।
गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया…
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन संशोधनों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि बिना प्रतिवादी पक्ष को सुने रोक नहीं लगाई जा सकती। इन संशोधनों के तहत राज्य को भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों और प्राचार्यों की भर्ती के नियम बनाने का अधिकार दिया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने दिया तर्क…
वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह, जो याचिकाकर्ता सेंट जेवियर्स हाई स्कूल लोयोला हॉल और अन्य की ओर से पेश हुए, ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय का निर्णय सुप्रीम कोर्ट की नौ और ग्यारह-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों की अनदेखी करता है। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार न्यूनतम योग्यता और मानदंड निर्धारित कर सकती है, लेकिन प्राचार्यों और शिक्षकों के चयन के अधिकार को विनियमित नहीं कर सकती।
कार्यकारी समिति में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों का बहुमत हो
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि उच्च न्यायालय का निष्कर्ष यह था कि चयन समिति या कार्यकारी समिति में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों का बहुमत होना चाहिए। इस पर सिंह ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में समिति पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा नामित की गई थी, और इसमें 11 सदस्य नामांकित किए गए थे। उच्च न्यायालय ने 23 जनवरी को कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए GSHSE अधिनियम में 2021 में किए गए संशोधनों को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि इन प्रावधानों की भाषा यह इंगित नहीं करती कि राज्य को असीमित या निरंकुश अधिकार दिए गए हैं।
अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को…
अदालत ने यह भी कहा कि यद्यपि राज्य के नियमन करने की शक्ति निरंकुश नहीं है, लेकिन मात्र नियम बनाने के लिए अधिकार देना संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को मिले संरक्षण का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।