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Delhi Riot: राऊज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने वर्ष 2020 दंगों में कानून मंत्री कपिल मिश्रा के कथित भूमिका की जांच के लिए एफआईआर(प्राथमिकी) दर्ज करने का आदेश दिया है।
16 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दे पुलिस
कोर्ट ने कानून मंत्री कपिल मिश्रा और अन्य के खिलाफ जांच की आवश्यकता बताते हुए इसे प्रथम दृष्टया में संज्ञेय अपराध माना है। अदालत ने कहा, यह स्पष्ट है कि मिश्रा कथित अपराध के समय कर्दमपुरी इलाके में मौजूद थे। इसमें आगे जांच की आवश्यकता है। दिल्ली पुलिस को इस मामले में 16 अप्रैल को अगली सुनवाई तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
24 फरवरी 2020 को नागरिकता कानून के विरोध में हुई थी हिंसा
24 फरवरी 2020 को नागरिकता कानून के विरोध को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी। इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास ने कानून मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ याचिका दायर कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। इलियास ने मिश्रा, उस समय के दयालपुर थाने के एसएचओ और पांच अन्य लोगों, जिनमें बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान और सतपाल संसद शामिल हैं, के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि मिश्रा का दंगों में कोई भूमिका नहीं थी। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा था, डीपीएसजी (दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट) समूह की चैट से पता चलता है कि 15 और 17 फरवरी, 2020 की शुरुआत में चक्का जाम की योजना पहले से ही बनाई गई थी। पुलिस जांच से पता चला है कि मिश्रा पर दोष मढ़ने की एक योजना बनाई गई थी।
आप पार्टी के दिल्ली संयोजक ने इस्तीफे की मांग की
आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कानून मंत्री के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद उनकी गिरफ्तारी होने व इस्तीफा की मांग की। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पांच साल बाद भी दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की। इससे बड़ी शर्मनाक बात और कोई नहीं हो सकती है। कपिल मिश्रा द्वारा दंगों को भड़काने के लिए दिए गए बयान कोई छिपे हुए नहीं है। सभी ने उन्हें देखा है, और पर्याप्त वीडियो सबूत भी हैं।
भड़काऊ भाषण को लेकर एक और जनहित याचिका दायर
दिल्ली हाई कोर्ट में पहले से ही एक जनहित याचिका (पीआईएल) लंबित है। इसमें बीजेपी के कपिल मिश्रा और अन्य पार्टी नेताओं अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ 2020 के दंगों से पहले कथित भड़काऊ भाषण देने को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। “