
Allahabd High Court Lucknow Bench
Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति बृज राज सिंह व न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने याचिकाकर्ता देवेंद्र कुमार दीक्षित को कार्यरत न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाने के मामले में दो हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
रिट खारिज होने के पीछे भ्रष्ट्राचार का लगाया था आरोप
दरअसल, यह मामला राज्य बनाम देवेंद कुमार दीक्षित के अवमानना आवेदन की सुनवाई को लेकर है। देवेंद्र कुमार दीक्षित ने भारत के राष्ट्रपति को 30 अप्रैल 2016 को एक पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने एक रिट याचिका संख्या 7137 एमबी 2016 के खारिज होने के पीछे रिश्वत लेनदेन का उल्लेख किया। कहा कि संबंधित सुनवाई को लेकर जजों ने वरिष्ठ अधिवक्ता के माध्यम से रिश्वत लिया। आरोप लगाया कि यह भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ था।
राष्ट्रपति को भेजा गया आरोप भरा पत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया
देवेंद्र कुमार दीक्षित का राष्ट्रपति को भेजा गया आरोप भरा पत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया। तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने प्रथम दृष्टी में इसे आपत्तिजनक माना। उन्होंने मामले में 9 जून 2016 को आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश कर दी। हाईकोर्ट की तरफ से देवेंद्र कुमार दीक्षित को 19 अक्टूबर 2016 को अवमानना नोटिस जारी हुआ। कहा गया कि बिना किसी सबूत के हाईकोर्ट के न्यायाधीशों पर अपमानजनक आरोप लिखित में भेजे गए। इस तरह का प्रकाशन चाहे वह मौखिक हो या लिखित, न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है। इस तरह की पहुंचानेवाली प्रवृति आपराधिक अवमानना है।
देवेंद्र कुमार दीक्षित ने अदालती कार्यवाही के दौरान इसको लेकर न तो माफी मांगी
लखनऊ बेंच की पीठ ने कहा, देवेंद्र कुमार दीक्षित ने अदालती कार्यवाही के दौरान इसको लेकर न तो माफी मांगी और न ही अपने आरोप को वापस लेने की गुहार लगाई। इस दौरान याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति भवन से भेजे गए पत्र की कॉपी की मांग की। यह स्वीकार भी किया कि आरोप वाली शिकायत पत्र उसके द्वारा ही भेजी गई थी। इस दौरान अदालत ने सीनियर काउंसिल आईबी सिंह को न्याय मित्र भी नियुक्त किया। अदालत के याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप गठित किया। 27 जनवरी 2025 को देवेंद्र कुमार दीक्षित ने एक शपथ पत्र दाखिल किया। इस पर पांच मार्च को सुनवाई हुई। अदालत ने माना कि जिस रिट याचिका के बारे में शिकायत पत्र में उल्लेख किया गया, वह सुनवाई के पहले दिन ही खारिज कर दिया गया था। पीठ ने आरोपी पर जुर्माना लगाने के दौरान उनके उम्र का भी हवाला दिया और कहा कि एक्ट 1971 के सेक्टर 2 सी वन के तहत सजा के हकदार हैं, लेकिन पहले अपराध को देखते हुए उन पर दो हजार रुपये जुर्माना लगाया जा रहा है।